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कहानी
राजा कृष्णप्पा बैर्या उर्फ रॉकी भाई (यश) गरुड़ को मारने के बाद अब कोलार गोल्ड फील्ड्स (केजीएफ) का नया सुलतान बन गया है। लोग उसे भगवान मानने लगे हैं और अपने बच्चों से कहते हैं- “हमारी बेड़ियों को तोड़ा है उसने, ये कभी मत भूलना..”। रॉकी ने केजीएफ में एक ऐसे साम्राज्य का निर्माण किया है, जिसे कोई नहीं भेद सकता। इधर रॉकी अपने दुनिया पर राज करने की योजना बना रहा होता है, उधर उसके दुश्मन उसे खत्म करने के लिए गरुड़ के भाई शक्तिशाली अधीरा (संजय दत्त) की मदद लेते हैं। इस बीच, प्रधानमंत्री रमिका सेन (रवीना टंडन) को रॉकी भाई की दुनिया को लेकर खबर मिलती है और वो उसका खात्मा करने का वादा लेती हैं। अपने साम्राज्य और अपनी कुर्सी को बचाने के लिए रॉकी किस तरह अपने दोनों दुश्मनों से निपटता है, इसी के इर्द गिर्द घूमती है पूरी कहानी।

अभिनय
रॉकी भाई के किरदार में यश ने शानदार काम किया है। कह सकते हैं कि उन्होंने अपने स्टाइल और स्वैग से भूमिका में जान फूंक दी है। इमोशनल सीन्स हो या भारी भरकम एक्शन सीक्वेंस, यश बेहद सहज दिखे हैं। अधीरा के किरदार में संजय दत्त प्रभावशाली दिखे हैं, हालांकि उनकी स्क्रीनटाइम उम्मीद से काफी कम है। वहीं, भारत की प्रधानमंत्री के रूप में रवीना टंडन ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। श्रीनिधि शेट्टी को काफी दृश्य मिले हैं.. और जो मिले हैं वो भी खास मजबूत नहीं है।

निर्देशन
प्रशांत नील एक ऐसा सीक्वल देने में कामयाब रहे हैं जो पहले भाग की तुलना में अधिक प्रभावशाली है। निर्देशक कहानी और यश के स्टारडम को साथ में लेकर चलते हैं। यही वजह से जहां फिल्म हमें कई सीटीमार सीक्वेंस देती है, वहीं कुछ भावनात्मक दृश्यों को भी कहानी में पिरोया गया है। खास बात है कि फिल्म अपना वादा पूरा करती है। प्रशांत नील द्वारा लिखी ये कहानी शुरु से अंत तक आपको बांधे रखती है। इस बार निर्देशक ने संजय दत्त और रवीना टंडन जैसे दो बड़े चेहरों को भी जोड़ा है और दोनों फिल्म का मजबूत पक्ष रहे। हालांकि संजय दत्त के किरदार को जिस तरह लाया गया, उससे थोड़ी और उम्मीद थी। फिल्म के कमजोर पक्ष में इसकी बेमेल गति है। कुछ हिस्सों में फिल्म बेहद तेज गति से आगे बढ़ती है.. वहीं कुछ जगहों पर कहानी रूक सी जाती है.. खासकर फर्स्ट हॉफ में। लिहाजा, लंबाई बढ़ाती है। बहरहाल, फिल्म का क्लाईमैक्स इतना शानदार है कि सारे भूल माफ करता है।

तकनीकी पक्ष
KGF: चैप्टर 2 अपने पहले पार्ट से कहीं ज्यादा बड़े स्तर पर बनाई गई है और फिल्म की कहानी उसके स्केल के साथ पूरी तरह से न्याय करती है। खासकर फिल्म के स्टंट सीक्वेंस विशेष उल्लेख पात्र हैं। फिल्म के एक्शन सीन्स भव्य दिखते हैं और उनमें नयापन है। उज्ज्वल कुलकर्णी की एडिटिंग अच्छी है, लेकिन कुछ दृश्यों में चुभती है, जहां स्क्रीन ब्लैक आउट हो जाती है। वहीं, सिनेमैटोग्राफर भुवन गौड़ा केजीएफ: चैप्टर 2 को एक अलग स्तर पर पहुंचा देते हैं। रॉकी का इंट्रो सीक्वेंस हो या क्लाइमेक्स की लड़ाई, हर सीन को स्टाइलिश तरीके से शूट किया गया है।

संगीत
फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर दिया है रवि बसरूर ने, जो कि बेहद शानदार है। कह सकते हैं कि फिल्म को भव्य बनाता है। इसके अलावा फिल्म में तीन गाने हैं, सुलतान के अलावा बाकी दो गाने ध्यान आकर्षित नहीं करते और कहीं ना कहीं फिल्म की लंबाई को बढ़ाते हैं।

देंखे या ना देंखे
जो दर्शक फिल्मों में स्टाइल, एक्शन और भारी भरकम संवाद देखना चाहते हैं, उनके लिए केजीएफ चैप्टर 2 एक शानदार च्वॉइस होगी। फिल्म आपको कई सीटीमार सीन्स देती है। खासकर क्लाईमैक्स शानदार है। रॉकी का किरदार निभा रहे यश ने दमदार अभिनय किया है। वहीं, संजय दत्त और रवीना टंडन एक मजबूत पक्ष के तौर पर रहे। फिल्मीबीट की ओर से फिल्म को 3.5 स्टार।
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